हाथ उठाएं तो दुआ क्या माँगें? तकदीर से लड़कर भागें तो कहाँ भागें? जहाँ दरख्त भी शामिल हों साज़िश में वहाँ परिंदे आशियां आखिर कहाँ माँगें? इन अंधेरों से अब समेटने को कहो अपना वजूद जलते दियों की लो आखिर कब तलक जागे? हर आस बुनती रही खुद को आज तक जिनसे, थक कर चटकने [...]
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