और यूँ हम एक रात और जी गए

और यूँ हम एक रात और जी गए । ______________________________ मेरे आँसुओं को मेरे सब दर्द पी गए, और यूँ हम एक रात और जी गए। ज़ख़्म तो बहुत छोड़े वक़्त ने रूह पर मगर, बड़ी सफाई से उसका दिया हर ज़ख़्म सी गए। उम्र लंबी थी गम-ए-रात की हिज्र की तरह, इंतखाब की कोई [...]

कतरे से गुहर

कतरे से गुहर बहुत कुछ गुज़री है ए-दिल कतरे से गुहर होने तक, यूँ ही तो नहीं सफर कामिल है, बादल से बिछड़ सीप के सीने तक, गम-ए-जुदाई, खौफ-ए-तन्हाई, खौफज़दा मुसाफ़िर, और चल देना यूँ ही तन्हा, किसी अंजाम का आगाज़ होने तक, आंधियों का सफर और गर्क होने का डर, अंदेशों से लिपट, हर [...]

संभलने दे ज़रा

संभलने दे ज़रा अभी नासूर बन गम रिस रहा है, ज़ख्म ताज़ा हैं अभी, घाव भी नया-नया है । न उम्मीदें लगा मुझसे यूँ मुस्कुराने की, तू क्या जाने जो खोया उसकी कीमत क्या है ? संभलने दे ज़रा तपती रेत पर चल कर आई हूँ दूर से, अभी तेरे संगमरमर भी मेरे पाँव के [...]

मैं और मेरे कातिल

मैं और मेरे कातिल कतरा-कतरा रोज़ मरा करते हैं, हम अपने कातिल साथ लिए चलते हैं । बड़े दिलदार हैं ये, गुनहगार खुद को करते हैं, कहने को तो खुदा से, ये भी डरा करते हैं । यूँ तो हँसना हमारा था कसूर, इनकी नज़र, अब कभी न मुस्कुराने का, इल्ज़ाम हम पर धरते हैं [...]

वो शख्स/Wo Shaqs-

वो शख्स-जो बुझा बुझा सा नज़र आता है आज,उसे जलाया गया था, उम्मीदों के कारखानों में कभी,वो तबदील न हुआ रातों रात राख में यूँ ही,उसे तपाया गया था हिकारत की आतिशों से कहीं,कभी मुस्कुराती थी मासूमियत अक्स में जिसके,अब एक सर्द सी खामोशी पसरी है वहीं,कितना बेज़ार सा मंज़र है उस तन्हाई का,जो उसने [...]