संभलने दे ज़रा

संभलने दे ज़रा अभी नासूर बन गम रिस रहा है, ज़ख्म ताज़ा हैं अभी, घाव भी नया-नया है । न उम्मीदें लगा मुझसे यूँ मुस्कुराने की, तू क्या जाने जो खोया उसकी कीमत क्या है ? संभलने दे ज़रा तपती रेत पर चल कर आई हूँ दूर से, अभी तेरे संगमरमर भी मेरे पाँव के [...]

पाकीज़ा

पाकीज़ा मतलब की इस दुनिया में, कुछ पाकीज़ा से रिश्ते थे । खोने से इन हीरों को, जाने हम कितना डरते थे । अब आज़ाद है मन पंछी की तरह, न रिश्ते बचे न डर ही रहा । आज ये मन पाकीज़ा है, तन छोड़ चुकी किसी रूह की तरह ।

कुछ देर पहले

कुछ देर पहले गहन अंधकार में थी मेरी दुनिया, ये स्वर्णिम सवेरा कौन खिला गया! कुछ देर पहले आँखों से बहते थे दरिया, ये मुस्कुराना मुझे कौन सीखा गया! कुछ देर पहले ना-उम्मीद सा दिल था, ये उम्मीद नई सी कौन दिला गया! कुछ देर पहले ही तो सुंदर सपने सा था सब, ये नींद [...]

यहीं इसी किनारे

तपते सूरज को अपनी ताप मिटाने पानी में घुलते देखती, वो सांझ किनारे खड़ी जिंदगी, आज बहुत उदास लगी। पूछने पर एक मुस्कुराहट का बोझ लिए बोली, यूँ तो सब मुझे जिंदगी बुलाते हैं, लेकिन मुझे भी मौत के उस पार जाने वाले बहुत याद आते हैं। मेरी किताब के पन्नों को, अपनी रंग बिरंगी [...]