खोज

खोज दर-ब-दर, हर तरफ ढूंढता हूँ, घर में रहकर भी एक घर ढूँढता हूँ ! प्यासा हूँ कुछ इस कदर कि- दरिया किनारे भी आब, शिद्दत से ढूंढता हूँ ! वो कहते हैं पागल दीवाना मुझे, मैं दीवानगी में भी उन्हीं को ढूँढता हूँ ! कैसे करूँ बयाँ अहसासों को शब्दों में, मैं बयां करने [...]

जैसे कुछ हुआ ही नहीं

जैसे कुछ हुआ ही नहीं एक उम्र गुज़ारनी है तेरे बगैर और हम जी रहे हैं ऐसे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं शरीर से दिल निकल गया, तेरी साँसों के साथ और हम साँस ले रहे हैं ऐसे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं लुट गई हँसी, लुट गई खुशी, लुट गई जिंदगी और हम मुस्कुरा [...]

धूप की दस्तक

Read my thoughts on YourQuote app धूप की दस्तक मेरे सफेदपोश जमे कोहरे पर पड़ी और उसकी घनी सफेद जालियों में सुराख़ कर मेरे अंतर्मन तक जा पहुंची कह नहीं सकती, कि निराशा कमज़ोर पड़ रही थी, या आशा इतनी प्रबल थी, कि धूप की दस्तक पहचान सांस लेने लगे थे, मेरे सभी उजाले जिन्हें [...]

पाकीज़ा

पाकीज़ा मतलब की इस दुनिया में, कुछ पाकीज़ा से रिश्ते थे । खोने से इन हीरों को, जाने हम कितना डरते थे । अब आज़ाद है मन पंछी की तरह, न रिश्ते बचे न डर ही रहा । आज ये मन पाकीज़ा है, तन छोड़ चुकी किसी रूह की तरह ।

शाम तुम्हारे साथ गुज़ारुँ

कब चाहा था मैंने कि मैं, शाम तुम्हारे साथ गुज़ारुँ ? मेरी बस एक चाह थी इतनी, कुछ पल बैठ मैं तुम्हें निहारूँ। तुम सूरज से तपिश तेज़ हो, मैं एक गुमनाम सितारा हूँ , तेज प्रचंड प्रकाश के समक्ष, कौन तारे के वर्चस्व को माने ? कब चाहा था मैंने कि मैं, तुम्हारे जीवन [...]

कुछ देर पहले

कुछ देर पहले गहन अंधकार में थी मेरी दुनिया, ये स्वर्णिम सवेरा कौन खिला गया! कुछ देर पहले आँखों से बहते थे दरिया, ये मुस्कुराना मुझे कौन सीखा गया! कुछ देर पहले ना-उम्मीद सा दिल था, ये उम्मीद नई सी कौन दिला गया! कुछ देर पहले ही तो सुंदर सपने सा था सब, ये नींद [...]

कर्ज

कर्ज मेरा प्यार कर्ज है तुम पर सूद तो छोड़ो मूल भी बकाया है अब तक कैसे, कहाँ, कब चुकाओगे तुम्हारा मसला है और न चुका सको तो इसका भी हल है मुफ्त में ले जाओ जितना मेरे दिल में बचा है बस देख लेना कहाँ रखोगे, क्या कहीं इतनी जगह है? कतरा एक भी [...]

चुनौती स्वीकार है

चुनौती स्वीकार है तुम उजाले चुन लो, हम अँधेरों से लड़ेंगे उम्र भर, तुम्हारी याद में जलेंगे, पर उफ् न लाएँगे लबों पर, न शिकवा करेंगे न शिकायत ही कोई, कोई जिक्र तुम्हारा करे तो हो जाएँगे बेखबर, न मुड़कर देखेंगे, न आवाज़ ही देंगे, करीब से गुज़रना पड़ा तो गुज़रेंगे अजनबी बनकर, तुम बहारों [...]

मैं और मेरे कातिल

मैं और मेरे कातिल कतरा-कतरा रोज़ मरा करते हैं, हम अपने कातिल साथ लिए चलते हैं । बड़े दिलदार हैं ये, गुनहगार खुद को करते हैं, कहने को तो खुदा से, ये भी डरा करते हैं । यूँ तो हँसना हमारा था कसूर, इनकी नज़र, अब कभी न मुस्कुराने का, इल्ज़ाम हम पर धरते हैं [...]

यहीं इसी किनारे

तपते सूरज को अपनी ताप मिटाने पानी में घुलते देखती, वो सांझ किनारे खड़ी जिंदगी, आज बहुत उदास लगी। पूछने पर एक मुस्कुराहट का बोझ लिए बोली, यूँ तो सब मुझे जिंदगी बुलाते हैं, लेकिन मुझे भी मौत के उस पार जाने वाले बहुत याद आते हैं। मेरी किताब के पन्नों को, अपनी रंग बिरंगी [...]

सहर

यादों की गलियों से गुजर पुरानी सड़कों से निकल किसी मोड़ पर जकड़ न कर परेशान ऐ जिंदगी डर है अगर खो जाऊँ वहाँ तो फिर कभी लौट कर आऊँ या नहीं खूबसूरत ही सही, मगर यादें हैं वो भटक कर होगा हासिल कुछ भी नहीं यादों को यादों में ही छोड़ चल किसी ओर [...]