खोज
दर-ब-दर, हर तरफ ढूंढता हूँ,
घर में रहकर भी एक घर ढूँढता हूँ !
प्यासा हूँ कुछ इस कदर कि-
दरिया किनारे भी आब, शिद्दत से ढूंढता हूँ !
वो कहते हैं पागल दीवाना मुझे,
मैं दीवानगी में भी उन्हीं को ढूँढता हूँ !
कैसे करूँ बयाँ अहसासों को शब्दों में,
मैं बयां करने के लिए कुछ शब्द ढूँढता हूँ !
मुसाफिर हूँ, मुसाफिर था, मुसाफिर ही रहूँगा,
फिर क्यों ठहरने के लिए कुछ वक़्त ढूँढता हूँ ?
चैन दिल को, सुकून रूह को जो दे सके
क्यों नाकाबिले यकीं कुछ शख्स ढूँढता हूँ ?
ऐ ज़िंदगी तू ज़िंदा है अब भी मुझमें कहीं
यह सोचकर तुझे अपने ही अंदर कहीं ढूँढता हूँ !
कर दिया जाता हूँ कत्ल हजारों बार बेवजह,
हर बार कत्ल की फिर वजह ढूँढता हूँ !
कहते हैं मकसद है मेरी जिंदगी का कुछ तो,
तो फिर बेमकसद मैं ये क्या ढूँढता हूँ?
खुदा ने बनाया मुझे कि मैं ढूँढ लूँ खुद को,
और एक मैं हूँ जो उस खुदा को ही ढूँढता हूँ !
अब फना हो सिलसिला खोने का, ढूँढने का,
इस सफर की मंजिल का रास्ता ढूँढता हूँ । -Meenakshi Sethi #wingsofpoetry
Too good
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Thank You!
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Pleasure
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Shandaar
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Thank You Shalini!
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