जैसे कुछ हुआ ही नहीं
एक उम्र गुज़ारनी है तेरे बगैर और
हम जी रहे हैं ऐसे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं
शरीर से दिल निकल गया, तेरी साँसों के साथ और
हम साँस ले रहे हैं ऐसे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं
लुट गई हँसी, लुट गई खुशी, लुट गई जिंदगी और
हम मुस्कुरा रहे हैं ऐसे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं
कहने वाले तो कह देते हैं यूँ ही, अब जाने भी दो और
हम सर झुका लेते हैं ऐसे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं
जब तक बीते न खुद पर, कहाँ समझ सकता है कोई और
दूसरों को समझाते हैं ऐसे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं
रूह से रूह बिछड़ी है, बहुत गहरा है ज़ख़्म और
हम गम छुपा रहे हैं ऐसे जैसे कुछ हुआ ही नहीं
कोई आसमान से पूछे, तारों के टूटने का गम और
ये और बात है वो खामोश है ऐसे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं
Beautiful !!
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Thank You Cherry! How are you?
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I am doing good Meenakshi
Looking for a job hence less writing
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All the best for your job Cherry!
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Thanks buddy!!
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