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धूप की दस्तक
मेरे सफेदपोश जमे कोहरे पर पड़ी और
उसकी घनी सफेद जालियों में सुराख़ कर
मेरे अंतर्मन तक जा पहुंची
कह नहीं सकती, कि
निराशा कमज़ोर पड़ रही थी, या
आशा इतनी प्रबल थी, कि
धूप की दस्तक पहचान
सांस लेने लगे थे, मेरे सभी उजाले
जिन्हें कोहरे ने
सांस लेने से भी रोक रखा था
अब तक।
लंबी रात और सुनसान कोहरा
अब कमज़ोर पड़ रहे हैं
सूरज पूरी तरह निकलने को है,
बस कुछ और देर…