कर्ज
मेरा प्यार कर्ज है तुम पर
सूद तो छोड़ो मूल भी बकाया है अब तक
कैसे, कहाँ, कब चुकाओगे तुम्हारा मसला है
और न चुका सको तो इसका भी हल है
मुफ्त में ले जाओ जितना मेरे दिल में बचा है
बस देख लेना कहाँ रखोगे, क्या कहीं इतनी जगह है?
कतरा एक भी पीछे छोड़ मत जाना
खाली कर के दिल मेरा मुझको ही लौटाना
बस इतनी सी हमने तुम्हें दी ये सज़ा है ।
Gehra, dard bhara 👌
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Thank You Deepika!
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मर्मस्पर्शी रचना है ,पलकों को भिगो गई ।
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Thank You Anita! मेरा लिखना सफल हो गया!
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