रंग मिट्टी के अंतहीन, असीम
पल-पल बदलते, उभरते, बिखरते
कहीं रूद्र, कहीं सुशील
मिट्टी की काया, मिट्टी की माया
मिट्टी ने मिट्टी को, मिट्टी में मिलाया
मिट्टी संग प्रेम, मिट्टी संग बैर
मिट्टी चुराए नींद और चैन
जले तो मिट्टी, दबे तो मिट्टी
अंजाम मिट्टी का हो मिट्टी
फिर क्या रंग? क्या बेरंग?
इस मिट्टी के निराले ढंग
रंग मिट्टी के बहुत ही गहरे
जान सके बस पीर और संत।
Beautiful.
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Thank You!
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