चुनौती स्वीकार है
तुम उजाले चुन लो, हम अँधेरों से लड़ेंगे उम्र भर,
तुम्हारी याद में जलेंगे, पर उफ् न लाएँगे लबों पर,
न शिकवा करेंगे न शिकायत ही कोई,
कोई जिक्र तुम्हारा करे तो हो जाएँगे बेखबर,
न मुड़कर देखेंगे, न आवाज़ ही देंगे,
करीब से गुज़रना पड़ा तो गुज़रेंगे अजनबी बनकर,
तुम बहारों के चमन में नशेमन बना लेना,
हम भी जीना सीख लेंगे खिज़ा का फूल कोई बनकर,
तुम्हारे दिल से निकल जाएँगे, तुम्हें रूह में छिपा लेंगे,
खबर खुद को भी न होने देंगे, यूँ ही जिंदगी बिता देंगे।