ज़रा देर से आना
जीवन की साँझ
अभी धूप सिर पर घनेरी है
बोझ है कुछ कदमों में भारी
और दूर बहुत मेरी मंजिल है
चलना है हँसकर, साथ हैं साथी
थकान छुपा कर रखनी है।
ज़रा देर से आना
अभी काम बहुत हैं
करना मेरी मजबूरी है
कुछ मीठी यादें कैद हैं दिल में
उनसे ही हिम्मत लेनी है
कुछ रूहानी से रिश्ते भी हैं
जिनकी इबादत अभी करनी है।
ज़रा देर से आना
लेकिन जब आना,मुझे मोहलत देना
थोड़ी तैयारी बाकी है
बहुत हैं मेरे चाहने वाले
सब से इजाज़त लेनी है
जब भी आओगी तुम देखोगी
मैंने दहलीज़ सजा कर रखी है।
Copyright 2019
Meenakshi Sethi, Wings Of Poetry
Wishing der se aye zindagi ki saanj
Giving ample time to you for loved ones
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