रहमतें


​बहुत आबाद हैं मेरी तन्हाइयाँ

तेरी रहमतों का असर है

तन्हा हो कर भी मैं तन्हा नहीं

ये भी तेरा ही करम है।

🌿🌿🌿
रोशन है तू अब भी मेरे दिल के शहर में

लगता है हर पल तू संग है मेरी रहगुज़र में

अँधेरों से भी अब गिला नहीं

अब यही सहर हैं,

बहुत आबाद हैं मेरी तन्हाइयाँ

तेरी रहमतों का असर है।

🌿🌿🌿

 
उदास होने नहीं देती मुझे यादें तेरी

आँसू छलकने नहीं देती ये निगाहें मेरी

मेरे लबों पर अब भी मुस्कान है

कैसा ये सितम है?

बहुत आबाद हैं मेरी तन्हाइयाँ

तेरी रहमतों का असर है।

🌿🌿🌿
नज़रों से दूर सही, दिल के बहुत करीब हो तुम

पास न होकर भी हर वक्त नज़दीक हो तुम

तेरे न होने का अहसास ही नहीं

ये कैसा भरम है?

बहुत आबाद हैं मेरी तन्हाइयाँ

तेरी रहमतों का असर है।

🌿🌿🌿
कौन कहता है तन्हाइयाँ जीने नहीं देतीं

दिल के ज़खमों को सीने नहीं देतीं

अगर यादों से सराबोर हों तो

ये ही मरहम हैं

बहुत आबाद हैं मेरी तन्हाइयाँ

तेरी रहमतों का असर है।


Copyright ©2017 Meenakshi Sethi, Wings Of Poetry

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35 thoughts on “रहमतें

  1. Wowww…finally you did it in hindi!! ❤…so amazing! Specially liked these lines:

    अँधेरों से भी अब गिला नहीं

    अब यही सहर हैं,

    अगर यादों से सराबोर हों तो

    ये ही मरहम हैं

    So beautiful!!…

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  2. आपके शब्द आपकी ही तरह सुन्दर और रूहानियत से ओत प्रोत हैं.
    Loved reading your poems कितने सारी भावनाएं कितने सारे एहसास
    Meenakshi आप खुद एक बोहोत अच्छी writer हैं
    Can I invite you to visit my blogs? And I would also like to request you to follow back if you like my work. Thanks
    Love & hugs
    भावना
    https://alifelessordinarywithsaurabhavna.wordpress.com

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